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ITR-1 और ITR-4 में पूंजीगत लाभ से संबंधित बदलाव, कर अनुपालन को मिलेगा बढ़ावा

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ITR-1 और ITR-4 में पूंजीगत लाभ से संबंधित बदलाव, कर अनुपालन को मिलेगा बढ़ावा

देशभर के करोड़ों करदाताओं के लिए एक बड़ी खबर है। आयकर विभाग ने 2025-26 के आकलन वर्ष के लिए ITR फॉर्म 1 और 4 को अधिसूचित किया है। ये फॉर्म्स वे लोग और संस्थाएं भर सकते हैं जिनकी कुल आय 50 लाख रुपये तक है। अब जो लोग एक वित्तीय वर्ष में 1.25 लाख रुपये तक का लंबी अवधि का पूंजीगत लाभ (LTCG) प्राप्त करते हैं वे भी ITR-1 भर सकते हैं। पहले इन्हें ITR-2 भरना पड़ता था।

ITR-1 और ITR-4 के लिए कौन पात्र है?

ITR फॉर्म 1 (सहज) और ITR फॉर्म 4 (सुगम) सरल फॉर्म हैं जो छोटे और मंझले करदाताओं की जरूरतों को पूरा करते हैं। ‘सहज’ उन लोगों द्वारा भरा जा सकता है जिनकी वार्षिक आय 50 लाख रुपये तक है और जिनकी आय वेतन, एक घर संपत्ति, अन्य स्रोत (ब्याज) और कृषि आय से 5,000 रुपये तक है। ‘सुगम’ को ऐसे व्यक्तियों, हिंदू अविभाजित परिवारों (HUFs) और कंपनियों द्वारा भरा जा सकता है जिनकी कुल वार्षिक आय 50 लाख रुपये तक है और जिनकी कोई पेशेवर आय हो।

फॉर्म में क्या बदलाव किए गए हैं?

संदीप सेहगल, पार्टनर, टैक्स और कंसल्टिंग कंपनी AKM ग्लोबल ने कहा कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने आकलन वर्ष 2025-26 के लिए आयकर रिटर्न (ITR) फॉर्म में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इससे विशेष रूप से उन वेतनभोगी करदाताओं को लाभ मिलेगा जिन्हें शेयरों और म्यूचुअल फंड्स से लंबी अवधि का पूंजीगत लाभ प्राप्त होता है। अब अगर LTCG 1.25 लाख रुपये से अधिक नहीं है और कोई पूंजीगत हानि नहीं है तो वे लोग ITR-1 (सहज) या ITR-4 (सुगम) का उपयोग कर सकते हैं।

ITR-1 और ITR-4 में पूंजीगत लाभ से संबंधित बदलाव, कर अनुपालन को मिलेगा बढ़ावा

छोटे करदाताओं को मिलेगा राहत

सेहगल ने कहा, “यह बदलाव कर दाखिल करने की प्रक्रिया को सरल बनाता है और छोटे निवेशकों और वेतनभोगी लोगों के लिए इसे ज्यादा सुलभ और कम जटिल बनाता है। इससे समय पर और सही तरीके से कर अनुपालन को बढ़ावा मिलेगा।” यह बदलाव छोटे करदाताओं के लिए राहत का कारण बनेगा।

ITR-1 और ITR-4 के फायदे

आईटीआर-1 और आईटीआर-4 से छोटे करदाता अब आसानी से अपना कर रिटर्न दाखिल कर सकेंगे। इनमें पूंजीगत लाभ से संबंधित जानकारी भरने का भी विकल्प रहेगा। यह कदम वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए फायदेमंद साबित होगा क्योंकि इसे भरने में अब अधिक आसानी होगी।

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Income Tax: 5.45 लाख करोड़! सरकार के खजाने में अचानक आया टैक्स बूस्ट, जानिए कौन भर रहा है सबसे ज्यादा

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Income Tax: 5.45 लाख करोड़! सरकार के खजाने में अचानक आया टैक्स बूस्ट, जानिए कौन भर रहा है सबसे ज्यादा

Income Tax: देश में डायरेक्ट टैक्स यानी प्रत्यक्ष कर संग्रह में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। सरकार द्वारा चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 80 दिनों के आंकड़े जारी किए गए हैं जो इस बात की पुष्टि करते हैं। कॉर्पोरेट टैक्स और नॉन-कॉर्पोरेट टैक्स दोनों में जबरदस्त उछाल आया है। इसके अलावा अग्रिम कर यानी एडवांस टैक्स और रिफंड में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। सरकार की ओर से टैक्सपेयर्स को बेहतर सेवा और तेज प्रोसेसिंग मिलने से भी यह रुझान सामने आया है।

5.45 लाख करोड़ रुपये का डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन

सरकार के ताजा आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2025-26 में 19 जून तक देश का डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 4.86 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 5.45 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। यह पिछले साल की इसी अवधि में 5.19 लाख करोड़ रुपये था। इस कलेक्शन में कॉर्पोरेट टैक्स, नॉन-कॉर्पोरेट टैक्स, सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) और अन्य शुल्क शामिल हैं। हालांकि रिफंड में जबरदस्त बढ़ोतरी की वजह से नेट कलेक्शन में थोड़ी गिरावट जरूर दर्ज हुई है।

Income Tax: 5.45 लाख करोड़! सरकार के खजाने में अचानक आया टैक्स बूस्ट, जानिए कौन भर रहा है सबसे ज्यादा

रिफंड में 58 फीसदी की जोरदार बढ़ोतरी

टैक्स रिफंड की बात करें तो इसमें साल दर साल 58.04 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल जहां रिफंड 54,661 करोड़ रुपये था, वहीं इस साल यह बढ़कर 86,385 करोड़ रुपये पहुंच गया है। माना जा रहा है कि सरकार द्वारा टैक्सपेयर्स को बेहतर सर्विस और तेजी से रिफंड प्रोसेस करने का असर दिख रहा है। हालांकि इसी वजह से नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में मामूली 1.39 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है जो पिछले साल 4.65 लाख करोड़ रुपये से घटकर 4.58 लाख करोड़ रुपये हो गया।

एडवांस टैक्स में भी देखने को मिली बढ़ोतरी

एडवांस टैक्स संग्रह यानी अग्रिम कर संग्रह में भी इजाफा देखने को मिला है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक इसमें 3.87 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और यह आंकड़ा अब 1,55,533 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। इसमें से कॉर्पोरेट एडवांस टैक्स में करीब 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और यह 1,21,604 करोड़ रुपये हो गया है। हालांकि नॉन-कॉर्पोरेट एडवांस टैक्स में 2.68 प्रतिशत की गिरावट आई है और यह घटकर 33,928 करोड़ रुपये रह गया है।

तेजी से प्रोसेसिंग और डिजिटल सिस्टम का असर

जानकारों का कहना है कि सरकार की ओर से आयकर विभाग में डिजिटल प्रोसेसिंग को बढ़ावा देना और टैक्सपेयर्स को आसानी से रिफंड उपलब्ध कराना इस पूरे बदलाव की बड़ी वजह है। टैक्सपेयर्स को अब पहले से ज्यादा आसानी और तेजी से रिफंड मिल रहा है। इससे टैक्स का दायरा भी बढ़ रहा है और लोग समय पर टैक्स भर रहे हैं। आने वाले समय में यह सुधार देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा।

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Iran-Israel War: युद्ध की लहरें अब व्यापार पर! ईरान-इजराइल टकराव से भारत का बाजार डगमगाया

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Iran-Israel War: युद्ध की लहरें अब व्यापार पर! ईरान-इजराइल टकराव से भारत का बाजार डगमगाया

Iran-Israel War: इस वक्त जब ईरान और इजराइल के बीच युद्ध चल रहा है तो भारत भी इससे अछूता नहीं रह सकता। क्योंकि दोनों देश भारत के अहम व्यापारिक साझेदार हैं। भारत सरकार का वाणिज्य मंत्रालय इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहा है। शुक्रवार को एक अहम बैठक बुलाई गई है जिसमें युद्ध का भारत के विदेशी व्यापार पर क्या असर पड़ेगा इस पर चर्चा होगी। इसमें शिपिंग कंपनियों, एक्सपोर्टर्स, कंटेनर ऑपरेटर्स और अलग-अलग विभागों के अधिकारी शामिल होंगे।

एक्सपोर्टर्स की बढ़ी चिंता

भारतीय निर्यातकों की चिंता बढ़ गई है। उनका कहना है कि अगर यह युद्ध और बढ़ता है तो ग्लोबल व्यापार प्रभावित होगा और एयर व सी फ्रेट रेट्स में तेजी आएगी। खासतौर पर स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज और रेड सी से गुजरने वाले कॉमर्शियल जहाजों की आवाजाही पर असर पड़ सकता है। यह वही रास्ता है जिससे भारत करीब दो-तिहाई कच्चा तेल और आधे से ज्यादा एलएनजी आयात करता है। इस संकरी जलधारा को ईरान बंद करने की धमकी दे चुका है।

Iran-Israel War: युद्ध की लहरें अब व्यापार पर! ईरान-इजराइल टकराव से भारत का बाजार डगमगाया

भारत के लिए सबसे अहम समुद्री रास्ते पर संकट

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) का कहना है कि अगर यहां किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई होती है या रास्ता बंद होता है तो भारत में महंगाई बढ़ेगी। तेल की कीमतें, शिपिंग कॉस्ट और बीमा प्रीमियम में उछाल आएगा जिससे रुपया कमजोर होगा और सरकार की वित्तीय योजना पर दबाव बढ़ेगा। वहीं इजराइल द्वारा यमन के हूती ठिकानों पर किए गए हमलों से रेड सी में पहले से ही तनाव बढ़ गया है।

रेड सी से होता है भारत का बड़ा व्यापार

भारत और यूरोप के बीच होने वाला 80 प्रतिशत मर्चेंडाइज ट्रेड रेड सी से होकर गुजरता है। अमेरिका के साथ भी बड़ा व्यापार इसी रास्ते से होता है। इन दोनों क्षेत्रों में भारत के कुल निर्यात का 34 प्रतिशत हिस्सा जाता है। रेड सी से दुनिया के 30 प्रतिशत कंटेनर ट्रैफिक और 12 प्रतिशत वैश्विक व्यापार होता है। इससे इस क्षेत्र की अहमियत समझी जा सकती है। हूती हमलों के कारण 2023 में रेड सी से व्यापार लगभग रुक गया था।

भारत-ईरान और भारत-इजराइल व्यापार की स्थिति

2023-24 में भारत ने इजराइल को 4.5 अरब डॉलर का निर्यात किया था जो अब घटकर 2.1 अरब डॉलर रह गया है। वहीं इजराइल से आयात भी 2 अरब डॉलर से घटकर 1.6 अरब डॉलर रह गया है। ईरान को भारत का निर्यात पिछले दो वर्षों में 1.4 अरब डॉलर पर स्थिर रहा है लेकिन आयात 625 मिलियन डॉलर से घटकर 441 मिलियन डॉलर हो गया है। इस बीच ट्रेड वॉर और वैश्विक आर्थिक दबाव से पहले ही व्यापार पर असर है। WTO का कहना है कि 2025 में वैश्विक व्यापार 0.2 प्रतिशत घट सकता है लेकिन भारत ने 2024-25 में 6 प्रतिशत की बढ़त के साथ 825 अरब डॉलर का निर्यात किया है।

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क्या आपका Cibil Score है लोन के लायक? जानिए स्कोर रेंज का असली मतलब

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क्या आपका Cibil Score है लोन के लायक? जानिए स्कोर रेंज का असली मतलब

Cibil Score: जब भी आप बैंक से लोन लेने की सोचते हैं या क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई करते हैं तो सबसे पहले जो चीज़ देखी जाती है वह होता है आपका CIBIL स्कोर। यह स्कोर तीन अंकों का होता है और 300 से 900 के बीच होता है। इसे देखकर बैंक ये तय करते हैं कि आपको लोन दिया जाए या नहीं और किस ब्याज दर पर दिया जाए। अगर आपका स्कोर अच्छा है तो लोन मिलने की संभावना भी बढ़ जाती है और ब्याज दर भी कम हो सकती है। इसलिए यह जरूरी है कि आप समय-समय पर अपना CIBIL स्कोर चेक करते रहें और उसे अच्छा बनाए रखें।

300 से 730 के बीच स्कोर वालों के लिए चेतावनी

अगर आपका CIBIL स्कोर 300 से 680 के बीच है तो ये संकेत देता है कि आपने पहले कभी क्रेडिट कार्ड का बिल समय पर नहीं चुकाया या आपकी EMI में देरी हुई है। ऐसे स्कोर वालों को बैंक डिफॉल्टर मान सकते हैं और लोन देने में हिचक सकते हैं। वहीं अगर आपका स्कोर 681 से 730 के बीच है तो भी स्थिति पूरी तरह ठीक नहीं मानी जाती। इसका मतलब है कि आपने समय पर भुगतान करने की कोशिश की है लेकिन फिर भी देरी हुई है। ऐसे में आपको सुधार करने की ज़रूरत है।

क्या आपका Cibil Score है लोन के लायक? जानिए स्कोर रेंज का असली मतलब

731 से 790 के बीच स्कोर वालों के लिए मिली-जुली तस्वीर

अगर आपका स्कोर 731 से 770 के बीच है तो इसे अच्छा माना जाता है। इसका मतलब है कि आपने अधिकतर समय पर भुगतान किया है। ऐसे स्कोर पर बैंक आपको लोन तो दे सकते हैं लेकिन हो सकता है कि आपको सबसे कम ब्याज दर ना मिले। वहीं अगर स्कोर 771 से 790 के बीच है तो यह और बेहतर है। इसका मतलब है कि आप लगातार समय पर भुगतान करते आए हैं और आपके डिफॉल्टर होने का खतरा बहुत कम है। ऐसे लोगों को बैंक भरोसेमंद मानते हैं।

791 से ऊपर वालों के लिए सुनहरा मौका

अब बात करते हैं सबसे बढ़िया स्कोर की यानी 791 से 900 के बीच। इस रेंज का स्कोर “एक्सीलेंट” माना जाता है। अगर आपका स्कोर इस रेंज में आता है तो आपको लोन लेना बहुत आसान हो जाता है और बैंक भी आपको बेहतर ब्याज दरों पर लोन या क्रेडिट कार्ड ऑफर करते हैं। हालांकि, अंतिम फैसला बैंक का ही होता है लेकिन ऐसे स्कोर वाले लोगों को प्राथमिकता दी जाती है। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि कभी भी लोन लेने में दिक्कत न हो तो अपनी क्रेडिट हिस्ट्री साफ-सुथरी रखें और समय पर भुगतान करते रहें।

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