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Vijay की पार्टी TVK का पहला स्थापना दिवस, महाबलीपुरम में कार्यकर्ताओं संग खास बैठक

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Vijay की पार्टी TVK का पहला स्थापना दिवस, महाबलीपुरम में कार्यकर्ताओं संग खास बैठक

तमिल सुपरस्टार Vijay आज अपनी पार्टी तमिलागा वेत्री कझागम (TVK) की पहली वर्षगांठ मना रहे हैं। इस मौके पर वह महाबलीपुरम के एक निजी रिसॉर्ट में एक भव्य सार्वजनिक बैठक का आयोजन करेंगे। महाबलीपुरम, जो चेन्नई के पास स्थित एक बीच टाउन है, इस बैठक का केंद्र बन चुका है। पार्टी के इस पहले सालगिरह के अवसर पर विजय ने इसे विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा है, क्योंकि उनकी पार्टी तमिलनाडु के प्रमुख द्रविड़ी दलों के लिए एक सशक्त विकल्प के रूप में अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रही है।

तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव की तैयारी

तमिलनाडु में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, और विजय की पार्टी TVK ने इसे अपनी राजनीतिक यात्रा के महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में लिया है। विजय, जो तमिलनाडु की सियासत में अपनी एक मजबूत छवि बनाने की कोशिश कर रहे हैं, उनका उद्देश्य राज्य में एक सशक्त राजनीतिक विकल्प पेश करना है जो मौजूदा द्रविड़ी दलों के लिए चुनौतीपूर्ण हो। इस मौके पर पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए विजय ने कई बार राज्य के प्रमुख मुद्दों पर अपनी राय रखी है, खासकर महिला सुरक्षा, कानून व्यवस्था और परिवारवाद जैसे मुद्दों पर।

Vijay का DMK और BJP के प्रति आलोचनात्मक रुख

Vijay ने हमेशा से द्रविड़ मुनेत्र कझागम (DMK) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) की केंद्र सरकार की आलोचना की है। खासतौर पर उन्होंने DMK पर राज्य में कानून-व्यवस्था, सरकार की नीतियों और महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों पर हमले किए हैं। विजय की पार्टी ने राज्य में विकल्प के रूप में खुद को स्थापित करने का प्रयास किया है, और वह जनता के बीच अपने वादों को लेकर भरोसा जगाने में सफल रहे हैं। हालांकि, विजय ने इस दौरान AIADMK पर कोई टिप्पणी नहीं की है, जिसके कारण पार्टी के साथ उनके संभावित गठबंधन को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं।

AIADMK के साथ गठबंधन की संभावना

विजय ने AIADMK के बारे में चुप्पी साध रखी है, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या वह चुनाव से पहले AIADMK के साथ गठबंधन करेंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर यह गठबंधन होता है तो यह DMK के लिए एक बड़ी चुनौती पेश कर सकता है, खासकर विजय की लोकप्रियता और AIADMK के वोट बैंक के साथ। AIADMK, जो पहले जयललिता के नेतृत्व में एक मजबूत पार्टी थी, अब अपने भीतर कई मतभेदों और नेतृत्व संकट से जूझ रही है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेता जैसे ओ. पन्नीरसेल्वम, टीटीवी दिनाकरण और वीके शशिकला पार्टी से बाहर हो चुके हैं, जिसके कारण पार्टी की स्थिति कमजोर हुई है। इसके बावजूद यह स्पष्ट नहीं है कि विजय AIADMK के साथ गठबंधन करने के लिए तैयार होंगे, खासतौर पर यह देखते हुए कि उनकी पार्टी का लक्ष्य तमिलनाडु में एक मजबूत स्वतंत्र राजनीतिक शक्ति बनना है।

Vijay की पार्टी TVK का पहला स्थापना दिवस, महाबलीपुरम में कार्यकर्ताओं संग खास बैठक

Vijay की राजनीति में एंट्री और जनता से वादे

Vijay ने फिल्म उद्योग में अपनी लंबी और सफल यात्रा के दौरान राजनीति में कदम रखा। उनकी पार्टी TVK का गठन तमिलनाडु की राजनीति में एक नया मोड़ था, और इसे कई लोग अभिनेता-नेताओं की परंपरा के रूप में देख रहे हैं। विजय को MGR (MG रामचंद्रन) और जयललिता जैसे अभिनेता-नेताओं से तुलना की जा रही है, जिन्होंने तमिलनाडु की राजनीति में बड़ा प्रभाव डाला था। विजय ने तमिलनाडु के लोगों से कई वादे किए हैं, जिसमें ‘शक्ति का बंटवारा’ करने का वादा प्रमुख है, जो उनके समर्थकों के बीच विश्वास जगाने का कारण बना है।

TVK का चुनावी दृष्टिकोण और DMK की आलोचना

विजय की पार्टी ने अपने दृष्टिकोण में द्रविड़ी दलों के खिलाफ आक्रामक रणनीति अपनाई है। विजय ने DMK की आलोचना करते हुए कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब है और महिला सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा है। इसके अलावा, उन्होंने केंद्र सरकार की ‘एक देश, एक चुनाव’ प्रस्ताव पर भी हमला किया है, जिसे वह संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ मानते हैं। इन मुद्दों पर विजय की आलोचना ने उन्हें एक सशक्त राजनीतिक ताकत के रूप में उभारा है, और इसके कारण उनकी पार्टी की लोकप्रियता में वृद्धि हुई है।

विजय के लिए राजनीति में भविष्य और चुनौतियां

विजय की पार्टी TVK ने तमिलनाडु की राजनीति में अपनी शुरुआत तो कर दी है, लेकिन अगले कुछ महीनों में उसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। पार्टी को विधानसभा चुनावों में अपनी सफलता सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत गठबंधन की आवश्यकता होगी। हालांकि, विजय के इस बारे में मौन रहने के कारण उनके समर्थकों में अनिश्चितता बनी हुई है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि विजय को इस स्थिति को स्पष्ट करने की जरूरत है, ताकि उनकी पार्टी के आगामी चुनावी रास्ते का निर्धारण हो सके।

तमिल सुपरस्टार विजय की पार्टी TVK के पहले सालगिरह पर महाबलीपुरम में आयोजित होने वाली बैठक तमिलनाडु की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना बन चुकी है। पार्टी ने अपनी शुरुआत तो कर दी है, लेकिन उसे चुनावी सफलता हासिल करने के लिए कई राजनीतिक निर्णय लेने होंगे, विशेषकर AIADMK के साथ संभावित गठबंधन को लेकर। विजय की बढ़ती लोकप्रियता और उनके द्वारा किए गए वादों से समर्थकों में उत्साह बना हुआ है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि अगले कुछ महीनों में वह राजनीति में अपनी स्थिति को किस तरह से मजबूत करते हैं।

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India-New Zealand Relations: न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सर ने दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर में की पूजा-अर्चना, भारत-न्यूजीलैंड संबंधों को मजबूत करने का संदेश

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India-New Zealand Relations: न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सर ने दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर में की पूजा-अर्चना, भारत-न्यूजीलैंड संबंधों को मजबूत करने का संदेश

India-New Zealand Relations: न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सर (Christopher Luxon) ने मंगलवार को दिल्ली स्थित बीएपीएस स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर में पूजा-अर्चना की। इस दौरान उनके साथ 110 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भी मौजूद था, जिसमें न्यूजीलैंड सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, मंत्री और कारोबारी नेता शामिल थे। इस विशेष दौरे के बाद पीएम लक्सर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा, “न्यूजीलैंड में हिंदू समुदाय का देश की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान है। आज दिल्ली में बीएपीएस स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर में दर्शन कर मैंने कीवी-हिंदुओं की आस्था को सम्मान दिया।”

रायसीना डायलॉग में थे मुख्य अतिथि

न्यूजीलैंड के पीएम क्रिस्टोफर लक्सर रविवार को भारत की पांच दिवसीय यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे थे। वह रायसीना डायलॉग (Raisina Dialogue) में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उनके साथ इस दौरे में मंत्री टॉड मैक्ले (Todd McClay), मार्क मिशेल (Mark Mitchell) और लुईस अप्सटन (Louise Upston) भी मौजूद थे।

इस प्रतिनिधिमंडल में न्यूजीलैंड की संसद के सदस्य एंडी फोस्टर (Andy Foster), कार्लोस चेउंग (Carlos Cheung), डॉ. परमजीत परमार (Paramjit Parmar) और प्रियंका राधाकृष्णन (Priyanca Radhakrishnan) शामिल थे। इसके अलावा न्यूजीलैंड के उच्चायुक्त पैट्रिक राटा (H.E. Patrick Rata) भी इस यात्रा में उपस्थित रहे।

बिजनेस प्रतिनिधिमंडल में न्यूजीलैंड की प्रमुख कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे, जिनका उद्देश्य दोनों देशों के बीच आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करना था।

माओरी भाषा में सत्संग दीक्षा ग्रंथ का अनावरण

अक्षरधाम मंदिर में पीएम क्रिस्टोफर लक्सर को सत्संग दीक्षा ग्रंथ (Satsang Diksha Granth) की माओरी भाषा में अनुवादित प्रति भेंट की गई। यह ग्रंथ हिंदू धर्म के स्वामीनारायण संप्रदाय का एक पवित्र ग्रंथ है, जिसे महंत स्वामी महाराज ने लिखा है।

इस उपहार के जरिए भारत और न्यूजीलैंड के बीच साझा सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों को दर्शाया गया। सत्संग दीक्षा ग्रंथ मूल रूप से संस्कृत में रचित है और इसमें आत्मिक शांति, निःस्वार्थ सेवा और आध्यात्मिक अनुशासन का मार्गदर्शन दिया गया है।

महंत स्वामी महाराज का पत्र और विशेष प्रार्थना

पीएम लक्सर की अक्षरधाम यात्रा के दौरान महंत स्वामी महाराज ने उन्हें एक व्यक्तिगत पत्र भी लिखा। इसमें उन्होंने कहा, “अक्षरधाम में आपकी उपस्थिति और इस दौरे के लिए आपने जो समय निकाला, वह आपकी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों के प्रति सम्मान को दर्शाता है।”

महंत स्वामी महाराज ने न्यूजीलैंड में भारतीय समुदाय के प्रति पीएम लक्सर के सहयोग के लिए आभार जताया और शांतिपूर्ण समाज के निर्माण के लिए उनके प्रयासों की सराहना की।

उन्होंने पीएम लक्सर के नेतृत्व, उनके परिवार की सुख-समृद्धि और न्यूजीलैंड के शांतिपूर्ण भविष्य के लिए विशेष प्रार्थनाएं कीं।

भारत-न्यूजीलैंड के बीच मजबूत होती साझेदारी

पीएम लक्सर ने अपनी यात्रा के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की। इस बैठक में दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग बढ़ाने को लेकर चर्चा हुई।

लक्सर ने कहा, “पीएम मोदी और मैंने मिलकर दोनों देशों के भविष्य संबंधों को लेकर विस्तार से चर्चा की। हमने रक्षा बलों की संयुक्त तैनाती और प्रशिक्षण को बढ़ाने पर सहमति जताई, जिससे रणनीतिक विश्वास मजबूत होगा।”

बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने जलवायु परिवर्तन और अंतरिक्ष अनुसंधान जैसे वैश्विक मुद्दों पर वैज्ञानिक सहयोग को बढ़ावा देने का भी निर्णय लिया। इसके अलावा, हवाई संपर्क (Air Connectivity) को बेहतर बनाने और प्राथमिक क्षेत्र में व्यापारिक सहयोग को मजबूत करने पर सहमति बनी।

न्यूजीलैंड में भारतीय समुदाय का प्रभाव

पीएम लक्सर ने अपने संबोधन में न्यूजीलैंड में भारतीय प्रवासियों के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा, “न्यूजीलैंड के सबसे बड़े शहर ऑकलैंड में 11 प्रतिशत जनसंख्या भारतीय मूल की है।”

लक्सर ने यह भी कहा कि भारत और न्यूजीलैंड के संबंध 200 साल पुराने हैं। उन्होंने कहा, “जैसे 200 साल पहले भारतीय प्रवासी हमारे समाज का हिस्सा बने थे, वैसे ही आज भी ‘कीवी-इंडियन’ हमारे बहुसांस्कृतिक समाज में पूरी तरह घुले-मिले हैं।”

अक्षरधाम मंदिर में पारंपरिक स्वागत

अक्षरधाम मंदिर पहुंचने पर पीएम लक्सर और उनके प्रतिनिधिमंडल का पारंपरिक स्वागत किया गया। उन्होंने मंदिर परिसर में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक भव्यता का अनुभव किया।

इस दौरान पीएम लक्सर ने मंदिर में श्रद्धा और सम्मान के प्रतीक स्वरूप फूलों की माला अर्पित की। उन्होंने अभिषेक समारोह में भी भाग लिया, जो एक प्राचीन हिंदू जलाभिषेक अनुष्ठान है। इसमें सभी के कल्याण, शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है।

संस्कृति और कूटनीति का संगम

पीएम क्रिस्टोफर लक्सर की अक्षरधाम यात्रा भारत और न्यूजीलैंड के बीच सांस्कृतिक और कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने का प्रतीक बनी। यात्रा के अंत में उन्होंने सांस्कृतिक उपहारों का आदान-प्रदान किया और दोनों देशों के बीच सहयोग को और मजबूत करने का संकल्प लिया।

पीएम क्रिस्टोफर लक्सर की यह यात्रा भारत और न्यूजीलैंड के बीच बढ़ते रणनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों का प्रमाण है। अक्षरधाम मंदिर में उनकी उपस्थिति ने दोनों देशों के बीच आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को और प्रगाढ़ किया। न्यूजीलैंड में भारतीय समुदाय के प्रति लक्सर का सम्मान और उनके लिए विशेष प्रार्थनाएं दोनों देशों के बीच सद्भावना को और मजबूत करेंगी।

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US Import Duty: अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमिनियम पर 25% आयात शुल्क, भारत कर रहा प्रभाव का आकलन, दवाओं के दाम बढ़ने का खतरा

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US Import Duty: अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमिनियम पर 25% आयात शुल्क, भारत कर रहा प्रभाव का आकलन, दवाओं के दाम बढ़ने का खतरा

US Import Duty: वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को लोकसभा में बताया कि केंद्र सरकार अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमिनियम के आयात पर लगाए गए 25% शुल्क के प्रभाव का आकलन कर रही है। उन्होंने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले के अनुसार, 12 मार्च से अमेरिका ने भारतीय स्टील और एल्युमिनियम उत्पादों पर आयात शुल्क लगा दिया है। मंत्री ने कहा कि वाणिज्य विभाग के अनुसार, भारत पर इस फैसले के प्रभाव का मूल्यांकन किया जा रहा है।

अमेरिका का आयात शुल्क: भारतीय निर्यातकों पर असर

अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमिनियम पर 25% आयात शुल्क लगाए जाने का सीधा असर भारत के निर्यातकों पर पड़ सकता है। भारतीय उद्योग जगत पहले ही वैश्विक मांग में आई कमी और कीमतों में उतार-चढ़ाव से जूझ रहा है। ऐसे में इस नए शुल्क से भारतीय कंपनियों की लागत बढ़ सकती है और निर्यात प्रतिस्पर्धा में गिरावट आ सकती है।

भारत की FATF रेटिंग मजबूत स्थिति में

पंकज चौधरी ने लोकसभा में बताया कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की 40 सिफारिशों में से भारत ने 37 में ‘कंप्लायंस’ या ‘लार्जली कंप्लायंस’ रेटिंग प्राप्त की है। शेष तीन में भारत को ‘पार्शियल कंप्लायंस’ रेटिंग मिली है और किसी में भी ‘नॉन-कंप्लायंस’ रेटिंग नहीं दी गई है। भारत को FATF की ‘रेगुलर फॉलो अप’ श्रेणी में रखा गया है, जो किसी भी देश के लिए सर्वश्रेष्ठ संभव रेटिंग मानी जाती है।

US Import Duty: अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमिनियम पर 25% आयात शुल्क, भारत कर रहा प्रभाव का आकलन, दवाओं के दाम बढ़ने का खतरा

G-20 देशों में भारत की मजबूत स्थिति

वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि भारत उन चुनिंदा चार G-20 देशों में शामिल है, जिन्हें FATF द्वारा ‘रेगुलर फॉलो अप’ रेटिंग दी गई है। यह भारत की मजबूत वित्तीय स्थिति और मनी लॉन्ड्रिंग व आतंकवाद वित्तपोषण के खिलाफ सख्त नीति को दर्शाता है।

अमेरिका को भी होगा नुकसान

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर लगाए गए ये शुल्क खुद अमेरिका के लिए भी नुकसानदेह साबित हो सकते हैं। खासतौर पर भारतीय जेनेरिक दवाओं के महंगे होने की आशंका है, जिससे लाखों अमेरिकी नागरिकों को दवाओं के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ सकती है।

जेनेरिक दवाओं के दाम बढ़ सकते हैं

कंसल्टिंग फर्म ‘IQVIA’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में भारतीय जेनेरिक दवाओं ने अमेरिका में करीब 219 बिलियन डॉलर की बचत करवाई थी। भारत अमेरिका को सस्ती और विश्वसनीय जेनेरिक दवाएं निर्यात करता है, जिससे वहां दवाओं की कीमत नियंत्रित रहती है।

दवा की कीमतों पर असर

विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका द्वारा भारत पर आयात शुल्क लगाने से भारतीय दवाओं का उत्पादन महंगा हो सकता है, जिससे अमेरिकी बाजार में उनकी कीमतें बढ़ सकती हैं। इससे अमेरिकी उपभोक्ताओं पर सीधा असर पड़ेगा और वे महंगी दवाएं खरीदने को मजबूर हो सकते हैं।

दवा की आपूर्ति पर खतरा

विश्लेषकों का मानना है कि अगर अमेरिकी सरकार ने भारतीय दवाओं पर अधिक शुल्क लगाया, तो कुछ भारतीय फार्मा कंपनियां अमेरिकी बाजार छोड़ सकती हैं। इससे अमेरिका में पहले से ही चल रही दवाओं की कमी और गंभीर हो सकती है।

भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर असर

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका का यह कदम भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों को भी प्रभावित कर सकता है। दोनों देशों के बीच लंबे समय से व्यापार समझौते को लेकर चर्चा चल रही है, लेकिन ऐसे शुल्क विवाद व्यापार वार्ता को जटिल बना सकते हैं।

भारतीय स्टील उद्योग पर प्रभाव

भारत के लिए स्टील और एल्युमिनियम का अमेरिका प्रमुख निर्यात बाजार है। अमेरिकी आयात शुल्क बढ़ने से भारतीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धा क्षमता घटेगी। इससे भारतीय निर्यातकों को नुकसान हो सकता है और वैश्विक बाजार में उनकी हिस्सेदारी कम हो सकती है।

भारत का जवाबी कदम संभव

जानकारों का मानना है कि यदि अमेरिका आयात शुल्क में कटौती नहीं करता है, तो भारत भी जवाबी कार्रवाई कर सकता है। भारत अमेरिकी उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ा सकता है, जिससे अमेरिका को भी व्यापारिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।

अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमिनियम आयात पर लगाया गया 25% शुल्क भारत के लिए चिंता का विषय है। इससे भारतीय निर्यातकों को नुकसान हो सकता है और अमेरिका में दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं। वहीं, FATF में भारत की मजबूत स्थिति से उसकी वैश्विक साख को मजबूती मिली है। आने वाले दिनों में भारत सरकार अमेरिका के इस फैसले के प्रभाव का आकलन कर उचित कदम उठा सकती है।

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Chandrayaan-5: भारत का नया चंद्र मिशन, जापान के साथ होगा सहयोग

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Chandrayaan-5: भारत का नया चंद्र मिशन, जापान के साथ होगा सहयोग

Chandrayaan-5: भारत सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चंद्रयान-5 मिशन (Chandrayaan-5 Mission) को मंजूरी दे दी है। यह भारत का महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन होगा, जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह का गहराई से अध्ययन करना है। ISRO के अध्यक्ष वी. नारायणन (V. Narayanan) ने रविवार को इस बारे में जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि चंद्रयान-5 मिशन को जापान के साथ मिलकर पूरा किया जाएगा। इस मिशन के तहत 250 किलोग्राम वजनी रोवर (Rover) चंद्रमा की सतह पर भेजा जाएगा, जिससे वहां की संरचना और विशेषताओं का अध्ययन किया जा सके।

चंद्रयान-4 की लॉन्चिंग कब होगी?

ISRO प्रमुख वी. नारायणन ने जानकारी दी कि भारत का चंद्रयान-4 मिशन साल 2027 में लॉन्च किया जाएगा। यह मिशन चंद्रमा की सतह से नमूने (Samples) इकट्ठा कर धरती पर वापस लाने के लिए तैयार किया गया है।

ISRO प्रमुख के अनुसार, चंद्रयान मिशन का उद्देश्य चंद्रमा की सतह का गहराई से विश्लेषण करना है, जिससे अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की भूमिका और सशक्त हो सके।

चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता

भारत का चंद्रयान-3 मिशन (Chandrayaan-3 Mission) 2023 में ऐतिहासिक सफलता के रूप में दर्ज हुआ। इस मिशन में 25 किलोग्राम वजनी ‘प्रज्ञान’ रोवर (Pragyan Rover) चंद्रमा की सतह पर भेजा गया था।

23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 के लैंडर ‘विक्रम’ (Vikram Lander) ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव (South Pole of Moon) पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग (Soft Landing) की थी। यह मिशन भारत को अंतरिक्ष विज्ञान में नई ऊंचाइयों तक ले गया और दुनिया भर में इसकी सराहना हुई।

Chandrayaan-5: भारत का नया चंद्र मिशन, जापान के साथ होगा सहयोग

चंद्रयान-5: क्या होगा खास?

चंद्रयान-5 मिशन की खासियत इस प्रकार होगी:

  1. 250 किलोग्राम वजनी रोवर चंद्रमा की सतह का गहन अध्ययन करेगा।
  2. भारत और जापान का संयुक्त प्रयास होगा, जिससे दोनों देशों की तकनीकी विशेषज्ञता का लाभ मिलेगा।
  3. चंद्रयान-4 के बाद इस मिशन से भारत की चंद्र अन्वेषण क्षमता और मजबूत होगी।
  4. यह भविष्य के मून मिशनों की नींव रखेगा, जिसमें इंसानों को चंद्रमा पर भेजने की संभावनाएं तलाशी जाएंगी।

चंद्रयान मिशन: भारत का चंद्र अन्वेषण इतिहास

भारत का चंद्रयान मिशन (Chandrayaan Mission) हमेशा से चंद्रमा के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण रहा है। अब तक भारत ने तीन चंद्र मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च किए हैं:

  1. चंद्रयान-1 (2008):

    • यह भारत का पहला चंद्र मिशन था।
    • चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी का पता लगाया गया था।
  2. चंद्रयान-2 (2019):

    • इस मिशन में लैंडर विक्रम सफलतापूर्वक लैंड नहीं कर पाया, लेकिन ऑर्बिटर अब भी काम कर रहा है।
  3. चंद्रयान-3 (2023):

    • भारत पहला देश बना, जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग की।
    • इस मिशन में प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर अध्ययन किया।

अब चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 मिशन भारत के अंतरिक्ष विज्ञान को और मजबूत करेंगे।

भारत का बढ़ता अंतरिक्ष अनुसंधान

ISRO लगातार नए अंतरिक्ष अभियानों पर काम कर रहा है। चंद्रयान-5 के साथ-साथ भारत गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission) पर भी काम कर रहा है, जो पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन होगा।

इसके अलावा, ISRO अदित्य L1 मिशन (Aditya L1 Mission) और मंगलयान-2 (Mangalyaan-2) की भी तैयारी कर रहा है। इससे भारत की अंतरिक्ष विज्ञान में वैश्विक उपस्थिति और मजबूत होगी।

भारत के चंद्रयान-5 मिशन को मंजूरी मिलना देश के अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए एक बड़ा कदम है। यह मिशन चंद्रमा की सतह पर महत्वपूर्ण खोज करेगा और भारत-जापान के वैज्ञानिक संबंधों को भी मजबूत करेगा।

चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 मिशन भारत को अंतरिक्ष विज्ञान में और ऊंचाई तक ले जाएंगे। आने वाले वर्षों में भारत की अंतरिक्ष शक्ति और अधिक बढ़ेगी और ISRO नए कीर्तिमान स्थापित करेगा।

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