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Stock Market Crash: शेयर बाजार में 10 लाख करोड़ का झटका आख़िर क्यों डगमगाए निवेशकों के हौसले?

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Stock Market Crash: शेयर बाजार में 10 लाख करोड़ का झटका आख़िर क्यों डगमगाए निवेशकों के हौसले?

Stock Market Crash: सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन यानी शुक्रवार 25 अप्रैल को भारतीय शेयर बाजार में जोरदार गिरावट देखी गई। सुबह बाजार में हल्की तेजी थी लेकिन दोपहर तक यह तेजी मंदी में बदल गई। सेंसेक्स करीब 1000 अंकों की गिरावट के साथ 78,800 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी भी 335 अंक टूटकर 23,908 के स्तर पर पहुंच गया। इस गिरावट की वजह से निवेशकों को करीब 10 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है। यह गिरावट ऐसे समय में आई है जब अमेरिका से लेकर जापान तक के वैश्विक बाजारों में मजबूती देखी जा रही थी।

भारत-पाक के बीच बढ़ता तनाव बना गिरावट की वजह

शेयर बाजार में गिरावट की सबसे बड़ी वजह भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव बताया जा रहा है। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में भारतीय पर्यटकों पर हुए हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। इस हमले में 26 लोगों की जान गई। जांच में इसके तार सीमा पार से जुड़े पाए गए हैं। इसके बाद भारत सरकार ने इंदस जल संधि को तोड़ने का ऐलान कर दिया है। यह पहली बार है जब भारत ने इतने सालों के तनाव और तीन युद्धों के बाद इस ऐतिहासिक समझौते को आधिकारिक तौर पर रोकने का कदम उठाया है। इस फैसले ने दोनों देशों के बाजारों पर असर डाला है। गुरुवार को पाकिस्तान के कराची स्टॉक एक्सचेंज में 2000 से ज्यादा अंकों की गिरावट देखी गई। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भारत के साथ सभी तरह के व्यापार पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान कर दिया है जिससे निवेशकों में डर और अनिश्चितता का माहौल बन गया है।

Stock Market Crash: शेयर बाजार में 10 लाख करोड़ का झटका आख़िर क्यों डगमगाए निवेशकों के हौसले?

विदेशी निवेशकों का रवैया और कंपनियों के कमजोर नतीजे

शेयर बाजार की गिरावट का एक और बड़ा कारण है विदेशी निवेशकों का रुख। मार्च तिमाही के नतीजे आने शुरू हो चुके हैं और कई कंपनियों के नतीजे उम्मीदों के अनुसार नहीं रहे हैं। इससे इन कंपनियों के शेयरों में गिरावट आई है। विदेशी निवेशक भी अब भारतीय बाजार से पैसे निकालने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। उनका रुख बदलने से घरेलू बाजार पर सीधा असर पड़ा है। विदेशी निवेशक आमतौर पर बाजार में बड़े पैमाने पर निवेश करते हैं और उनका पीछे हटना बाजार के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।

लाभ कमाने के लिए बिकवाली ने भी डुबोया बाजार

पिछले सात दिनों तक शेयर बाजार में लगातार तेजी देखी गई थी। 23 अप्रैल तक बाजार में अच्छा उछाल बना रहा। लेकिन 24 अप्रैल को बाजार थोड़े ठहराव में रहा और इसके बाद निवेशकों ने ऊंचे स्तरों पर मुनाफा कमाने के लिए शेयर बेचने शुरू कर दिए। इस वजह से भी शुक्रवार को बाजार धड़ाम हो गया। जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजारों की बात करें तो अमेरिका के वॉल स्ट्रीट में जबरदस्त तेजी देखने को मिली। एसएंडपी में 2.03% की बढ़त और नैस्डैक में 2.74% की तेजी रही। डाउ जोन्स भी 1.23% बढ़ा। जापान का निक्केई 1.23% चढ़ा और ताइवान का बाजार 2% की तेजी पर था। लेकिन इन सबके बावजूद भारतीय बाजार घरेलू तनावों और निवेशकों की चिंता से उबर नहीं पाया।

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Aegis Vopak IPO: IPO में बदलाव! ऑफर फॉर सेल नहीं केवल नया इश्यू, जानिए किन निवेशकों को मिलेगा खास फायदा

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Aegis Vopak IPO: IPO में बदलाव! ऑफर फॉर सेल नहीं केवल नया इश्यू, जानिए किन निवेशकों को मिलेगा खास फायदा

Aegis Vopak IPO: एजिस वोपाक टर्मिनल्स जो एजिस लॉजिस्टिक्स लिमिटेड की सहायक कंपनी है उसने 26 मई से अपना आईपीओ खोलने का ऐलान किया है। यह आईपीओ 28 मई तक खुलेगा। कंपनी ने शेयर की कीमत 223 रुपये से 235 रुपये के बीच तय की है और कुल 2800 करोड़ रुपये जुटाने की योजना है।

शेयरों की बिक्री और पैसों का उपयोग

यह आईपीओ केवल इक्विटी शेयरों का नया इश्यू है और इसमें कोई ऑफर फॉर सेल नहीं है। पहले कंपनी 3500 करोड़ रुपये जुटाने वाली थी लेकिन अब यह राशि घटाकर 2800 करोड़ कर दी गई है। इसमें से 2016 करोड़ रुपये का उपयोग कर्ज चुकाने में होगा और 671 करोड़ रुपये मंगलौर में क्रायोजेनिक एलपीजी टर्मिनल के अधिग्रहण पर खर्च होंगे।

Aegis Vopak IPO: IPO में बदलाव! ऑफर फॉर सेल नहीं केवल नया इश्यू, जानिए किन निवेशकों को मिलेगा खास फायदा

निवेशकों के लिए आरक्षण और बोली की जानकारी

कंपनी ने जानकारी दी है कि 75 प्रतिशत हिस्सेदारी योग्य संस्थागत खरीदारों के लिए रखी गई है जबकि 15 प्रतिशत गैर-संस्थागत और 10 प्रतिशत रिटेल निवेशकों के लिए होगी। निवेशक कम से कम 63 शेयरों की बोली लगा सकते हैं और उसके बाद 63 के गुणकों में निवेश कर सकते हैं।

कंपनी का काम और उसकी ताकत

एजिस वोपाक टर्मिनल्स भारत भर में अपने स्टोरेज टैंक टर्मिनलों का संचालन करती है। ये टर्मिनल पेट्रोलियम वेजिटेबल ऑयल केमिकल्स एलपीजी प्रोपेन और ब्यूटेन जैसी गैसों को सुरक्षित रूप से स्टोर करने की सुविधा प्रदान करते हैं। कंपनी के टर्मिनल भारत के प्रमुख पोर्ट्स के पास स्थित हैं जो उन्हें रणनीतिक लाभ देते हैं।

कंपनियों और प्रबंधन की भूमिका

टर्मिनल इंडस्ट्री में लोकेशन का बहुत महत्व होता है। प्रमुख शिपिंग रूट्स के पास और अच्छी तरह से जुड़े पोर्ट्स के पास स्थित टर्मिनल वितरण लागत को कम करते हैं और समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करते हैं। इस आईपीओ को मैनेज करने की जिम्मेदारी आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज बीएनपी पारिबा आईआईएफएल कैपिटल जेफरीज इंडिया और एचडीएफसी बैंक को दी गई है।

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Real Estate: 17 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट से बदल सकती है दिल्ली-एनसीआर की रियल एस्टेट की तस्वीर

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Real Estate: 17 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट से बदल सकती है दिल्ली-एनसीआर की रियल एस्टेट की तस्वीर

Real Estate कंपनी डीएलएफ लिमिटेड ने वित्तीय वर्ष 2025-26 में 17 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के आवासीय प्रोजेक्ट लॉन्च करने की योजना बनाई है कंपनी ने यह कदम लक्जरी होम्स की मजबूत मांग का लाभ उठाने के लिए उठाया है डीएलएफ ने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष में उसने 7.5 मिलियन वर्ग फुट क्षेत्र बिक्री के लिए लॉन्च किया था जिसका राजस्व अनुमानित 40 हजार 600 करोड़ रुपये है

क्षेत्रीय विस्तार और प्रोजेक्ट

डीएलएफ ने वित्तीय वर्ष 2024-25 की शुरुआत में कहा था कि वह मध्यम अवधि में 37 मिलियन वर्ग फुट क्षेत्र लॉन्च करेगा जिसका कुल राजस्व अनुमानित 1 लाख 14 हजार 500 करोड़ रुपये है कंपनी ने बताया कि इस क्षेत्र का लगभग 35 प्रतिशत हिस्सा वित्तीय वर्ष 2025 में लॉन्च किया गया है जबकि 15 प्रतिशत क्षेत्र को 2026 में लॉन्च करने की योजना है इस दौरान डीएलएफ ने अपना सुपर लक्जरी प्रोजेक्ट ‘द डाहलियास’ भी लॉन्च किया है जिसका कुल बिक्री क्षेत्र 4.5 मिलियन वर्ग फुट है

Real Estate: 17 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट से बदल सकती है दिल्ली-एनसीआर की रियल एस्टेट की तस्वीर

प्रोजेक्ट्स की जबरदस्त मांग

डीएलएफ ने कहा कि इन प्रोजेक्ट्स के लिए जबरदस्त मांग देखी गई है जिससे पिछले वित्तीय वर्ष में 13 हजार 744 करोड़ रुपये की बिक्री बुकिंग हुई है कंपनी के अनुसार यह प्रतिक्रिया हमारे ब्रांड की मजबूती और ग्राहक-केंद्रितता की प्रतिबद्धता को दर्शाती है इसी कारण इस प्रोजेक्ट की कुल अनुमानित बिक्री क्षमता का लगभग 39 प्रतिशत पहले ही साल में मोनेटाइज हो चुका है

कंपनी की वित्तीय सफलता

डीएलएफ ने पिछले वित्तीय वर्ष में रिकॉर्ड बिक्री बुकिंग की है जो 21 हजार 223 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है जो पिछले साल के 14 हजार 778 करोड़ रुपये से 44 प्रतिशत ज्यादा है इससे कंपनी की वित्तीय स्थिति मजबूत हुई है और उसे बाजार में बेहतर स्थान मिला है

लाभ और आय में वृद्धि

डीएलएफ की नेट प्रॉफिट वित्तीय वर्ष 2024-25 के अंतिम तिमाही में 39 प्रतिशत बढ़कर 1282.2 करोड़ रुपये हो गई है जो पिछले साल की इसी तिमाही में 919.82 करोड़ रुपये थी कुल आय भी 3347.77 करोड़ रुपये रही जो पिछले साल की इसी अवधि में 2316.7 करोड़ रुपये थी पूरे वित्तीय वर्ष में कंपनी का नेट प्रॉफिट 4366.82 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है जो पिछले साल के 2723 करोड़ रुपये से काफी ज्यादा है

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Manufacturing Company: भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर बना निवेशकों का नया ठिकाना क्या आएगा विदेशी पूंजी का तूफान

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Manufacturing Company: भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर बना निवेशकों का नया ठिकाना क्या आएगा विदेशी पूंजी का तूफान

Manufacturing Company: S&P ग्लोबल की ताज़ा रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर अब दुनियाभर के निवेशकों के लिए काफी आकर्षक बन चुका है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत ने बीते वर्षों में इस सेक्टर को ग्लोबल निवेश के लिए तैयार करने में बेहतरीन प्रगति की है।

वैश्विक व्यापार नीति में बदलाव से भारत को फायदा

S&P ग्लोबल इंडिया रिसर्च की स्टडी ‘इंडिया फॉरवर्ड ट्रांसफॉर्मेटिव पर्सपेक्टिव्स’ के मुताबिक अब जब दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाएं व्यापार और टैरिफ की नई परिस्थितियों के मुताबिक खुद को ढाल रही हैं तब भारत को इसका सीधा फायदा मिल सकता है। इससे देश की मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ को रफ्तार मिलेगी।

Manufacturing Company: भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर बना निवेशकों का नया ठिकाना क्या आएगा विदेशी पूंजी का तूफान

स्थानीय स्तर पर स्रोत और बाजार की निकटता होगी अहम

रिपोर्ट के अनुसार अब दुनिया में स्थानीय स्रोतों से उत्पाद बनाना और बाजार के करीब निर्माण करना एक बड़ी रणनीति बन गई है। भारत इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इससे देश को नई तकनीक मिलेगी और उच्च गुणवत्ता की नौकरियों का सृजन होगा।

दुनिया की सबसे तेज़ बढ़ती अर्थव्यवस्था बना भारत

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत अब भी दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है। भले ही वित्त वर्ष 2024-25 में जीडीपी ग्रोथ में कुछ सुस्ती आई हो लेकिन दीर्घकालिक दृष्टि से भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर दुनिया में बड़ी भूमिका निभा सकता है।

विदेशी व्यापार पर सीमित निर्भरता बनी ताकत

S&P ग्लोबल के अनुसार भारत की आर्थिक ग्रोथ विदेशी व्यापार पर बहुत ज़्यादा निर्भर नहीं है जिससे यह ग्लोबल ट्रेड में हो रहे उतार चढ़ाव से कुछ हद तक सुरक्षित रहता है। हालांकि भारत पूरी तरह अलग नहीं है लेकिन सरकार की योजनाएं घरेलू उत्पादन को बढ़ाने और वैश्विक सप्लाई चेन में भूमिका मज़बूत करने की ओर इशारा करती हैं।

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