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बिना इंसान के अब वायरस की पहचान! Project Ire से Microsoft ने साइबर वर्ल्ड में मचाया तहलका

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बिना इंसान के अब वायरस की पहचान! Project Ire से Microsoft ने साइबर वर्ल्ड में मचाया तहलका

Microsoft ने एक ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम लॉन्च किया है जो बिना किसी इंसानी मदद के खुद से मैलवेयर यानी वायरस को पहचान सकता है। इस सिस्टम का नाम है Project Ire और यह साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में एक बहुत बड़ा बदलाव लाने वाला कदम माना जा रहा है। प्रोजेक्ट आयर सॉफ्टवेयर फाइल्स को खुद से डीकोड करता है और तय करता है कि वह फाइल सुरक्षित है या नहीं।

फाइल का सोर्स न जानते हुए भी कर लेता है पूरा विश्लेषण

माइक्रोसॉफ्ट के ब्लॉग के अनुसार Project Ire किसी भी फाइल का विश्लेषण कर सकता है, भले ही उसे उस फाइल के स्रोत या मकसद की जानकारी न हो। यह सिस्टम AI डी-कंपाइलर और कई एडवांस्ड टूल्स की मदद से कोड का विश्लेषण करता है और यह समझने की कोशिश करता है कि वह फाइल किस तरह का व्यवहार कर रही है और क्या वह किसी खतरे का कारण बन सकती है।

बिना इंसान के अब वायरस की पहचान! Project Ire से Microsoft ने साइबर वर्ल्ड में मचाया तहलका

रिसर्चर्स की थकान का समाधान है ये सिस्टम

अब तक इस तरह का विश्लेषण करने का काम एक्सपर्ट सिक्योरिटी रिसर्चर्स करते थे। लेकिन माइक्रोसॉफ्ट का कहना है कि यह काम बहुत थकाऊ होता है और कई बार रिसर्चर्स बर्नआउट का शिकार हो जाते हैं। इस कारण हर फाइल को ध्यान से स्कैन करना और उस पर विश्लेषण करना हमेशा संभव नहीं हो पाता। लेकिन Project Ire इस काम को न सिर्फ खुद करता है बल्कि थकता भी नहीं है।

क्यों अलग है Project Ire बाकी AI टूल्स से

अभी तक कई AI आधारित सिक्योरिटी टूल्स मार्केट में आ चुके हैं लेकिन Project Ire उनसे काफी अलग है। इसकी खास बात यह है कि इसे मैलवेयर क्लासिफिकेशन यानी वायरस को वर्गीकृत करने के लिए तैयार किया गया है। लेकिन यह आसान काम नहीं है क्योंकि मशीन को यह समझाना मुश्किल होता है कि वह अपने फैसले का प्रमाण कैसे दे। इसी वजह से इस सिस्टम को ट्रेन करना और भी चुनौतीपूर्ण था।

चेन ऑफ एविडेंस से होगा हर कदम पारदर्शी

Project Ire को एक खास सिस्टम से लैस किया गया है जिसका नाम है Chain of Evidence। इसका काम है यह बताना कि यह AI सिस्टम अपने निर्णय पर कैसे पहुंचा। यानी हर स्टेप को ट्रैक किया जा सकता है कि किस आधार पर उसने किसी फाइल को खतरा बताया। इससे न केवल सिस्टम पर भरोसा बढ़ता है बल्कि यह सुरक्षा विश्लेषकों के लिए भी मददगार साबित होगा।

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PM Kisan की 21वीं किस्त 19 नवंबर को खातों में, मोबाइल नंबर अपडेट नहीं तो मिस होगा अलर्ट

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PM Kisan की 21वीं किस्त 19 नवंबर को खातों में, मोबाइल नंबर अपडेट नहीं तो मिस होगा अलर्ट

PM Kisan Yojana: देशभर के करोड़ों किसान लंबे समय से पीएम किसान सम्मान निधि की 21वीं किस्त का इंतजार कर रहे थे और आखिरकार उनकी प्रतीक्षा अब समाप्त होने वाली है। केंद्र सरकार ने आधिकारिक रूप से घोषणा कर दी है कि 19 नवंबर को किसानों के बैंक खातों में दो हजार रुपये की अगली किस्त सीधे ट्रांसफर कर दी जाएगी। पीएम किसान के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर भी इसकी पुष्टि की गई है जिससे किसानों में काफी उत्साह है।

मोबाइल नंबर अपडेट न किया तो नहीं मिलेगा अलर्ट

सरकार भले ही सीधे किस्त किसानों के खाते में भेज देगी लेकिन अगर आप किस्त से जुड़ा अलर्ट अपने मोबाइल पर पाना चाहते हैं तो इसके लिए जरूरी है कि आपका मोबाइल नंबर पोर्टल पर अपडेट हो। यदि आपने अभी तक अपना मोबाइल नंबर अपडेट नहीं किया है तो आपको किस्त से जुड़े महत्वपूर्ण संदेश नहीं मिल पाएंगे। ऐसे में तुरंत अपना रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर सुधारना बेहद ज़रूरी हो जाता है।

मोबाइल फोन से घर बैठे करें नंबर अपडेट

अगर आपका मोबाइल नंबर बदल गया है या पोर्टल पर गलत दर्ज है तो उसे घर बैठे आसानी से ठीक किया जा सकता है। इसके लिए आपको सबसे पहले pmkisan.gov.in वेबसाइट पर जाना होगा। इसके बाद होमपेज को नीचे स्क्रॉल करें और ‘Update Mobile Number’ विकल्प को चुनें। यहां आपको अपना रजिस्ट्रेशन नंबर या आधार नंबर दर्ज करना होगा। कैप्चा डालकर Search पर क्लिक करें। इसके बाद आपकी प्रोफाइल खुलेगी जिसमें आप नया मोबाइल नंबर दर्ज करके Submit पर क्लिक करें। ओटीपी वेरिफिकेशन पूरा होने पर आपका नया मोबाइल नंबर अपडेट हो जाएगा।

ऑफलाइन भी बदल सकते हैं अपना मोबाइल नंबर

अगर आप इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं करना चाहते या ऑनलाइन प्रक्रिया में कोई दिक्कत आती है तो आप अपना मोबाइल नंबर ऑफलाइन भी बदल सकते हैं। इसके लिए आपको अपने नजदीकी CSC सेंटर या कृषि विभाग के कार्यालय में जाना होगा। वहां आपको अपना आधार कार्ड और पीएम किसान का रजिस्ट्रेशन नंबर देना होगा। अधिकारी आपकी जानकारी की पुष्टि करने के बाद आपका नंबर आसानी से अपडेट कर देंगे।

किसानों की उम्मीदों को नई उड़ान

पीएम किसान सम्मान निधि योजना किसानों के लिए आर्थिक सहारा साबित हुई है। लगातार आती किस्तें छोटे और सीमांत किसानों को खेती के खर्चों में मदद करती हैं। इसी वजह से किसान हर किस्त का बेसब्री से इंतजार करते हैं। 21वीं किस्त की तारीख तय होने से किसानों में राहत और भरोसा दोनों बढ़ा है। सरकार भी समय पर किस्त देने के लिए पोर्टल अपडेट और सत्यापन जैसी सुविधाओं को सरल बना रही है।

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दिल्ली मेट्रो का डिजिटल क्रांति QR टिकट, अब Uber PhonePe और Telegram ऐप से कहीं भी करें खरीद

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दिल्ली मेट्रो का डिजिटल क्रांति QR टिकट, अब Uber PhonePe और Telegram ऐप से कहीं भी करें खरीद

दिल्ली मेट्रो में टिकट के लिए लंबी कतारों का जमाना अब खत्म हो गया है। दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) ने यात्रियों की सुविधा के लिए Open Network for Digital Commerce (ONDC) के साथ साझेदारी की है। अब लाखों यात्रियों के लिए मेट्रो टिकट मोबाइल ऐप्स के जरिए ऑनलाइन बुक करना बेहद आसान हो गया है। इससे टिकट खरीदने के लिए अलग-अलग ऐप डाउनलोड करने की जरूरत खत्म हो गई है।

एक से ज्यादा ऐप्स में उपलब्ध QR कोड टिकट सुविधा

अब दिल्ली मेट्रो और नोएडा मेट्रो के टिकट कई लोकप्रिय ऐप्स में मिलेंगे। Google Maps, EaseMyTrip, PhonePe, Uber, Rapido, RedBus, NammaYatri, Yatri Railways, Chartr, Tummoc और Telegram जैसे 10 से अधिक ऐप्स के जरिए QR आधारित टिकट खरीदे जा सकते हैं। इसका मतलब यह है कि मेट्रो की टिकटिंग प्रक्रिया बेहद सहज हो गई है। यात्रियों को अब टिकट खरीदने के लिए अलग से मेट्रो ऐप इंस्टॉल करने की जरूरत नहीं है।

WhatsApp से दिल्ली मेट्रो टिकट बुक करने का आसान तरीका

WhatsApp के जरिए भी दिल्ली मेट्रो टिकट खरीदना बहुत आसान हो गया है। बस DMRC का आधिकारिक नंबर +91 9650855800 सेव करें और ‘Hi’ भेजें। इसके बाद भाषा चुनें, टिकट खरीदने का विकल्प चुनें, अपनी यात्रा की शुरुआत और अंत की स्टेशन डालें। आप एक बार में छह तक टिकट खरीद सकते हैं। भुगतान करने के बाद तुरंत QR कोड मिल जाएगा जिसे मेट्रो स्टेशन पर स्कैन कर यात्रा शुरू करें। यह तरीका बहुत ही सरल और सुविधाजनक है।

PhonePe ऐप से मेट्रो टिकट बुकिंग और स्मार्ट कार्ड रिचार्ज

PhonePe ऐप में ‘Commute’ सेक्शन में जाकर आप मेट्रो के लिए QR टिकट बुक कर सकते हैं। दिल्ली मेट्रो चुनकर अपनी यात्रा के स्टेशनों को भरें और भुगतान करें। भुगतान के बाद QR टिकट स्क्रीन पर तुरंत दिखेगा। इसके अलावा PhonePe उपयोगकर्ता अपने मेट्रो स्मार्ट कार्ड को भी ऐप से रिचार्ज कर सकते हैं। इसके लिए कार्ड नंबर और रिचार्ज राशि डालनी होती है। यह तरीका समय और मेहनत दोनों बचाता है।

Uber ऐप में भी अब मेट्रो टिकट की सुविधा

Uber ऐप में ‘Metro Tickets’ विकल्प के जरिए आप आसानी से दिल्ली मेट्रो के टिकट खरीद सकते हैं। बस अपनी यात्रा की शुरुआत और अंत की स्टेशन चुनें, टिकट का चयन करें और UPI के जरिए भुगतान करें। टिकट तुरंत ऐप में आ जाएगा जिसका QR कोड मेट्रो गेट पर स्कैन किया जा सकता है। इससे Uber उपयोगकर्ताओं को भी एक ही ऐप से मेट्रो यात्रा की पूरी सुविधा मिल गई है।

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Artificial Intelligence: विशेषज्ञों ने चेताया है, एआई चैटबॉट्स को व्यक्तिगत जानकारी साझा करना हो सकता है खतरनाक

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Artificial Intelligence: विशेषज्ञों ने चेताया है, एआई चैटबॉट्स को व्यक्तिगत जानकारी साझा करना हो सकता है खतरनाक

आज के समय में Artificial Intelligence यानी एआई ने लोगों के काम को बहुत आसान बना दिया है। लेकिन इसके साथ ही इसके खतरों का भी उदय हो रहा है। एआई के कारण हैकर्स अब बहुत ही आसानी से निजी जानकारियों तक पहुंच बना सकते हैं, जिससे लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। हाल ही में कई साइबर विशेषज्ञों ने यूजर्स को चेतावनी दी है कि वे चैटजीपीटी, गूगल जेमिनी, परप्लेक्सिटीएआई जैसे एआई चैटबॉट्स के साथ अपनी व्यक्तिगत जानकारियां साझा करने से बचें। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने एआई टूल्स के माध्यम से डेटा लीक और बड़े साइबर हमलों के खतरे को लेकर आगाह किया है।

साइबर अपराधी एआई का बना रहे हैं गलत इस्तेमाल

साइबर अपराधी अब एआई का इस्तेमाल कर लोगों को निशाना बना रहे हैं। वे एआई टूल्स से निजी जानकारियां चुराकर डार्क वेब पर बेच रहे हैं। बहुत से लोग जानते-समझते या अनजाने में अपनी जन्म तिथि, पैन कार्ड, आधार कार्ड, पता जैसी महत्वपूर्ण जानकारियां जनरेटिव एआई टूल्स के साथ साझा कर देते हैं। यह बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। जैसे-जैसे हम अपने दैनिक जीवन में एआई का इस्तेमाल बढ़ा रहे हैं, वैसे-वैसे इसके नए खतरे भी उभर रहे हैं। हैकर्स एआई एल्गोरिदम की कमजोरियों का फायदा उठाकर व्यक्तिगत डेटा इकट्ठा कर सकते हैं और साइबर हमले कर सकते हैं।

Artificial Intelligence: विशेषज्ञों ने चेताया है, एआई चैटबॉट्स को व्यक्तिगत जानकारी साझा करना हो सकता है खतरनाक

कैसे होती है आपकी व्यक्तिगत जानकारी लीक

अधिकांश उपयोगकर्ता एआई टूल्स का इस्तेमाल करते वक्त अपनी निजी जानकारी जानबूझकर या अनजाने में शेयर कर देते हैं। उदाहरण के लिए, अक्सर लोग अपनी जन्म तिथि किसी सवाल में शामिल कर देते हैं ताकि एआई उनके लिए सही परिणाम दे सके। कुछ लोग अपना पता भी एआई टूल्स के साथ साझा करते हैं। कई बार माता-पिता अपने बच्चों का नाम, स्कूल का नाम और रोजाना की दिनचर्या जैसी संवेदनशील जानकारियां भी एआई से साझा कर देते हैं। यह जानकारी गलत हाथों में पड़ने पर बहुत खतरनाक साबित हो सकती है।

अपनी जानकारियां सुरक्षित रखने के उपाय

एआई से सवाल पूछते समय आपको अपने नाम, जन्म तिथि, कार्यस्थल जैसी निजी जानकारियों को साझा करने से बचना चाहिए।
एआई टूल्स में वह फीचर सक्षम करें जो आपके पूछे गए सवालों को सेव नहीं करता हो। इससे आपकी क्वेरी का डेटा चैटबॉट के सर्वर पर स्टोर नहीं होगा।
आप ‘HaveIBeenPwned’ जैसे टूल का उपयोग कर सकते हैं। यह टूल आपको बताएगा कि कहीं आपकी व्यक्तिगत जानकारी का दुरुपयोग तो नहीं हुआ है।
इन सावधानियों को अपनाकर आप एआई का सुरक्षित तरीके से उपयोग कर सकते हैं और अपनी निजी जानकारी की सुरक्षा कर सकते हैं।

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