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रमजान में रोजा ना रखने पर Mohammed Shami हुए ट्रोल, मौलाना ने दी सफाई!

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रमजान में रोजा ना रखने पर Mohammed Shami हुए ट्रोल, मौलाना ने दी सफाई!

टीम इंडिया के धाकड़ तेज गेंदबाज Mohammed Shami को लेकर एक नया और बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। मोहम्मद शमी की एक तस्वीर को लेकर सोशल मीडिया पर उन्हें जमकर ट्रोल किया जा रहा है। दरअसल, इस तस्वीर में शमी मैच के दौरान एक एनर्जी ड्रिंक पीते हुए नजर आ रहे हैं, जिसे लेकर कट्टरपंथी लोग उन पर निशाना साध रहे हैं। बरेली के एक मौलाना ने यह तक कह दिया कि रमजान में रोजा न रखकर शमी ने बड़ा गुनाह किया है। हालांकि, शमी के समर्थन में भी कई आवाजें उठ रही हैं और कुछ मौलानाओं ने भी शमी का बचाव किया है।

शमी पर रोजा न रखने का आरोप

बरेली के मौलाना शाहाबुद्दीन रिजवी ने बयान दिया कि मोहम्मद शमी ने रमजान में रोजा न रखकर बहुत बड़ा गुनाह किया है। उन्होंने कहा, “शरीयत की नजर में मोहम्मद शमी गुनहगार हैं, क्योंकि इस्लाम में रोजा रखना फर्ज है। जो कोई भी जानबूझकर रोजा नहीं रखता, वह बड़ा पाप करता है।”

मौलाना ने यह भी कहा कि रोजा इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है और हर मुसलमान को इसे निभाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस्लाम में बिना किसी ठोस वजह के रोजा छोड़ना उचित नहीं माना जाता।

मैच के दौरान एनर्जी ड्रिंक पीने पर बवाल

वायरल हो रही तस्वीर दुबई में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए मैच की बताई जा रही है। इस मैच में Mohammed Shami ने 3 महत्वपूर्ण विकेट लिए थे और शानदार प्रदर्शन किया था। लेकिन कट्टरपंथी लोग इस बात पर नाराज हैं कि उन्होंने रमजान के दौरान रोजा न रखते हुए मैच खेला और एनर्जी ड्रिंक का सेवन किया।

सोशल मीडिया पर कुछ कट्टरपंथियों ने शमी को ट्रोल करना शुरू कर दिया और उन पर धर्म का पालन न करने का आरोप लगाया। वहीं, कई लोग ऐसे भी हैं जो शमी के समर्थन में आ गए हैं और उनका बचाव कर रहे हैं।

मौलाना अरशद ने किया शमी का समर्थन

दिल्ली की मोती मस्जिद के इमाम मौलाना अरशद ने मोहम्मद शमी का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि “जो लोग शमी को ट्रोल कर रहे हैं, उन्हें न तो इस्लाम की जानकारी है और न ही कुरान की।”

उन्होंने आगे कहा कि इस्लाम में सफर कर रहे व्यक्ति को रोजा न रखने की छूट दी गई है। मौलाना अरशद ने कहा, “मोहम्मद शमी इस समय देश के लिए बाहर यात्रा कर रहे हैं, ऐसे में उनके लिए रोजा न रखना जायज़ है। इस मामले में किसी मौलाना या अन्य लोगों की बात मानने की बजाय कुरान के आदेशों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।”

उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग शमी को ट्रोल कर रहे हैं, वे यह भूल रहे हैं कि शमी देश के लिए खेल रहे हैं और उन्हें इस तरह निशाना बनाना गलत है।

रमजान में रोजा ना रखने पर Mohammed Shami हुए ट्रोल, मौलाना ने दी सफाई!

महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन ने भी किया शमी का समर्थन

Mohammed Shami के समर्थन में महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन भी सामने आया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष रोहित पवार ने शमी का बचाव करते हुए कहा कि पूरी एसोसिएशन शमी के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा, “शमी इस्लाम का सम्मान करते हैं, लेकिन उनके लिए देश पहले है।”

रोहित पवार ने कहा, “हर खिलाड़ी की फिटनेस और जरूरतें अलग-अलग होती हैं। अगर शमी मैच के दौरान एनर्जी ड्रिंक पी रहे हैं ताकि उनका प्रदर्शन अच्छा रहे, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। चैंपियंस ट्रॉफी बहुत महत्वपूर्ण है और अगर शमी पूरी तरह से फिट नहीं रहते, तो इससे टीम इंडिया को बड़ा नुकसान हो सकता है।”

सोशल मीडिया पर बंटा लोगों का रिएक्शन

मोहम्मद शमी के इस विवाद को लेकर सोशल मीडिया दो हिस्सों में बंटा हुआ नजर आ रहा है। कुछ लोग उन्हें कट्टरपंथी विचारधारा के खिलाफ खड़े होने वाला खिलाड़ी बता रहे हैं, तो कुछ उन्हें इस्लाम के नियमों को तोड़ने का दोषी मान रहे हैं।

  • शमी के समर्थकों का कहना है कि एक खिलाड़ी के लिए फिट रहना सबसे महत्वपूर्ण होता है। रोजा रखना हर मुसलमान की आस्था का विषय हो सकता है, लेकिन जब कोई देश के लिए खेल रहा हो, तो उसके स्वास्थ्य और फिटनेस को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
  • विरोध करने वालों का कहना है कि शमी को अपने धर्म के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए और किसी भी हालत में रोजा नहीं छोड़ना चाहिए था।

हालांकि, क्रिकेट प्रशंसकों और कई धार्मिक नेताओं ने साफ तौर पर कहा है कि खेल और धर्म को अलग-अलग रखना चाहिए।

शमी पर पहले भी उठ चुके हैं सवाल

यह पहला मौका नहीं है जब मोहम्मद शमी को उनके धार्मिक विचारों को लेकर ट्रोल किया गया हो। इससे पहले भी कई बार सोशल मीडिया पर उन्हें निशाना बनाया गया है।

  • 2018 में उनकी पत्नी हसीन जहां ने उन पर घरेलू हिंसा और बेवफाई के आरोप लगाए थे, जिससे उनका नाम विवादों में आया था।
  • 2021 में जब भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ टी-20 विश्व कप में हार का सामना किया था, तब भी कुछ कट्टरपंथियों ने शमी को गद्दार तक कह दिया था, जबकि उनके साथी खिलाड़ियों और देश के बड़े नेताओं ने उनका समर्थन किया था।

शमी इन सभी विवादों के बावजूद अपने खेल पर ध्यान केंद्रित करते रहे हैं और भारतीय टीम के लिए शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं।

क्या शमी को ट्रोल करना सही है?

यह सवाल उठता है कि क्या किसी खिलाड़ी की धार्मिक आस्था को उसके खेल से जोड़ना उचित है?

  • एक एथलीट की पहली जिम्मेदारी अपने खेल और फिटनेस के प्रति होती है। अगर शमी एनर्जी ड्रिंक पी रहे थे, तो यह उनकी बॉडी और फिटनेस के अनुसार जरूरी हो सकता है।
  • धार्मिक स्वतंत्रता हर व्यक्ति का अधिकार है, और किसी भी खिलाड़ी को अपने धर्म के अनुसार निर्णय लेने की आज़ादी होनी चाहिए।
  • देश के लिए खेलने वाले खिलाड़ी को सपोर्ट करना चाहिए, न कि उसे बेवजह विवादों में घसीटना चाहिए।

मोहम्मद शमी पर उठे इस विवाद से एक बार फिर यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या खेल को धर्म से जोड़ना सही है? शमी एक भारतीय क्रिकेटर हैं, जो देश के लिए खेलते हैं और उन्होंने कई बार अपने प्रदर्शन से भारत को गौरवान्वित किया है।

रमजान में रोजा रखना इस्लाम का अहम हिस्सा है, लेकिन सफर कर रहे व्यक्ति के लिए इसमें छूट दी गई है। ऐसे में शमी को लेकर जो विवाद हो रहा है, वह अनावश्यक लगता है। महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन और कई मौलानाओं ने भी शमी का समर्थन किया है, जो दर्शाता है कि यह सिर्फ एक गैर-जरूरी विवाद है।

खिलाड़ी का असली धर्म खेल और कड़ी मेहनत होती है। मोहम्मद शमी ने अब तक देश के लिए कई बार बेहतरीन प्रदर्शन किया है और आगे भी उनका यही लक्ष्य होना चाहिए।

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Tiruvallur Train fire accident: तिरुवल्लुर में डीजल से भरी मालगाड़ी में लगी भीषण आग, कई ट्रेनें रद्द, रेलवे अलर्ट पर

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Tiruvallur Train fire accident: तिरुवल्लुर में डीजल से भरी मालगाड़ी में लगी भीषण आग, कई ट्रेनें रद्द, रेलवे अलर्ट पर

Tiruvallur Train fire accident: तमिलनाडु के तिरुवल्लुर के पास उस वक्त हड़कंप मच गया जब एक मालगाड़ी के चार डिब्बों में अचानक आग लग गई। यह मालगाड़ी डीजल से भरी हुई थी और मणाली से तिरुपति की ओर जा रही थी। आग इतनी भीषण थी कि आसमान में धुएं का गुबार छा गया। मौके पर फायर ब्रिगेड की टीम तुरंत पहुंची और आग पर काबू पाने की कोशिश शुरू हुई।

चार डिब्बों में लगी आग, अन्य को किया गया अलग

रेलवे के अनुसार सुबह-सुबह आग लगने की सूचना मिली। डीजल से भरे चार डिब्बों में आग लग चुकी थी। रेलवे कर्मचारियों ने तत्परता दिखाते हुए बाकी डिब्बों को इन डिब्बों से अलग कर दिया जिससे आग और नहीं फैल सके। अभी तक किसी के घायल होने की सूचना नहीं है लेकिन इस हादसे ने रेल संचालन पर बड़ा असर डाला है।

चेन्नई से निकलने वाली कई ट्रेनें रद्द

इस हादसे के बाद रेलवे ने चेन्नई से चलने वाली कई प्रमुख ट्रेनों को रद्द कर दिया है। वंदे भारत एक्सप्रेस, शताब्दी, कोवई सुपरफास्ट, सप्तगिरी एक्सप्रेस, डबल डेकर और नागरसोल एक्सप्रेस सहित कुल आठ ट्रेनों को पूरी तरह रद्द कर दिया गया है। यात्रियों को सोशल मीडिया और रेलवे के माध्यम से अपडेट लेने की सलाह दी गई है।

रेलवे ने जारी किया अलर्ट

साउदर्न रेलवे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर अलर्ट जारी करते हुए बताया कि सुरक्षा के मद्देनज़र ओवरहेड बिजली आपूर्ति को भी बंद कर दिया गया है। रेलवे ट्रैक की सफाई और ट्रैफिक बहाल करने के लिए काम युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। यात्रियों को असुविधा से बचने के लिए घर से निकलने से पहले ट्रेन की स्थिति चेक करने को कहा गया है।

यात्रियों से की गई सावधानी बरतने की अपील

रेलवे प्रशासन ने इस गंभीर हादसे को ध्यान में रखते हुए यात्रियों से विशेष सतर्कता बरतने की अपील की है। जिन लोगों को 13 जुलाई को चेन्नई से यात्रा करनी थी, उन्हें अपनी यात्रा दोबारा शेड्यूल करने या वैकल्पिक व्यवस्था करने की सलाह दी गई है। फिलहाल आग बुझाने का कार्य जारी है और रेलवे घटना की जांच कर रही है।

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UP Panchayat Elections: उत्तर प्रदेश में पारदर्शिता के साथ होंगे पंचायत चुनाव, ओबीसी आरक्षण पर सटीक रणनीति तैयार

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UP Panchayat Elections: उत्तर प्रदेश में पारदर्शिता के साथ होंगे पंचायत चुनाव, ओबीसी आरक्षण पर सटीक रणनीति तैयार

UP Panchayat Elections: उत्तर प्रदेश सरकार इस बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ कराने के लिए कमर कस चुकी है। पंचायती राज विभाग ने राज्य स्थानीय ग्रामीण निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन का प्रस्ताव तैयार कर लिया है और इसे सरकार को भेजा गया है। इस आयोग का गठन कैबिनेट की मंजूरी के बाद होगा, जो आरक्षण प्रक्रिया को विवाद मुक्त बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।

 आबादी के अनुसार तय होंगे आरक्षण के अनुपात

2011 की जनगणना के अनुसार, प्रदेश में अनुसूचित जनजाति (ST) की जनसंख्या 0.5677 प्रतिशत और अनुसूचित जाति (SC) की जनसंख्या 20.6982 प्रतिशत है। इन्हीं आंकड़ों के आधार पर पंचायत चुनाव में इन वर्गों के लिए सीटें आरक्षित की जाएंगी। वहीं, पिछड़े वर्ग (OBC) के लिए भी 27 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को राज्य स्तर पर सुनिश्चित किया जाएगा, भले ही किसी ब्लॉक में उनकी संख्या इससे अधिक क्यों न हो।

UP Panchayat Elections: उत्तर प्रदेश में पारदर्शिता के साथ होंगे पंचायत चुनाव, ओबीसी आरक्षण पर सटीक रणनीति तैयार

पिछली गलती से सबक, अब आयोग ही तय करेगा आंकड़े

नगर निकाय चुनाव के दौरान ओबीसी आरक्षण को लेकर जो विवाद हुआ था, उससे सबक लेते हुए सरकार इस बार पंचायत चुनाव में कोई चूक नहीं करना चाहती। पिछली बार की तरह गलत आंकड़ों पर आधारित आरक्षण को लेकर उठे विरोध के चलते सरकार ने अब आयोग के जरिए सटीक आंकड़े जुटाने की रणनीति अपनाई है, जिससे किसी भी वर्ग को अन्याय महसूस न हो।

 आयोग की जिम्मेदारी होगी सटीक रिपोर्ट तैयार करना

राज्य स्थानीय ग्रामीण निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग प्रदेश के अलग-अलग जिलों का दौरा करेगा और वहां की ओबीसी आबादी का विस्तृत ब्यौरा जुटाएगा। इस आंकलन के बाद आयोग अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा और उसी के आधार पर पंचायत चुनाव में आरक्षण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यह कदम न केवल निष्पक्षता सुनिश्चित करेगा, बल्कि ग्रामीण लोकतंत्र को मजबूती देगा।

 अब पंचायत चुनाव को मिलेगा गति और दिशा

पंचायती राज विभाग ने संबंधित अधिकारियों को चुनावी तैयारियों को अंतिम रूप देने के निर्देश दे दिए हैं। आयोग की रिपोर्ट आने के बाद ही चुनाव की तारीखों की घोषणा की जाएगी। इससे स्पष्ट है कि प्रदेश सरकार चाहती है कि कोई भी चुनावी प्रक्रिया बिना विवाद के पूरी हो और सभी वर्गों को उनकी जनसंख्या के अनुसार उचित प्रतिनिधित्व मिले।

 

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“कश्मीर नहीं जाएंगे बंगालवाले” – Shubhendu Adhikari ने चेताया, उमर के न्यौते पर घमासान

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“कश्मीर नहीं जाएंगे बंगालवाले” – Shubhendu Adhikari ने चेताया, उमर के न्यौते पर घमासान

Shubhendu Adhikari: हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की और उन्हें तथा बंगाल की जनता को कश्मीर आने का निमंत्रण दिया। इस निमंत्रण के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। खासतौर पर पहलगाम हमले की पृष्ठभूमि में इस दौरे ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। हमले में मारे गए लोगों की दर्दनाक यादें अब भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं।

शुभेंदु अधिकारी का विवादित बयान, कहा- कश्मीर न जाएं बंगालवासी

पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने उमर अब्दुल्ला के निमंत्रण का विरोध करते हुए कहा कि कोई भी बंगाली कश्मीर न जाए। उन्होंने सलाह दी कि अगर जाना है तो जम्मू जाएं, कश्मीर के मुस्लिम बहुल इलाकों से बचें। अधिकारी ने अपने बयान में कहा कि लोगों को उत्तराखंड, हिमाचल और ओडिशा जैसे राज्यों का रुख करना चाहिए।

 ममता बनर्जी ने उमर अब्दुल्ला का निमंत्रण स्वीकारा, बोलीं- दुर्गापूजा के समय कश्मीर जाऊंगी

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उमर अब्दुल्ला के आमंत्रण को स्वीकार करते हुए कहा कि वह दुर्गा पूजा के आसपास कश्मीर यात्रा करेंगी। उन्होंने कहा कि लोगों को कश्मीर जरूर जाना चाहिए और इसकी खूबसूरती को देखना चाहिए। साथ ही उन्होंने सुरक्षा को लेकर स्पष्ट किया कि इसकी जिम्मेदारी जम्मू-कश्मीर सरकार और केंद्र सरकार की है।

पहलगाम हमला और उसका भयावह सच

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश को झकझोर दिया था। इस हमले में 26 निर्दोष लोग मारे गए। हमलावरों ने लोगों से धर्म पूछकर उनकी पहचान की और कुछ को कलमा पढ़वाकर जांचा। मृतकों में एक सेना के अधिकारी भी थे, जिनकी पत्नी हिमांशी नारवाल का दर्द देश ने महसूस किया। इस घटना के बाद लोगों में कश्मीर को लेकर डर का माहौल बना।

 ऑपरेशन सिंदूर: भारत का जवाब, पाकिस्तान में तबाही

पहलगाम हमले के बाद भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया जिसमें पाकिस्तान में स्थित कई आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर तबाह किया गया। यह जवाब भारत की ओर से आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश था। इस ऑपरेशन ने साबित कर दिया कि भारत अपनी जनता की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।

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