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India-EU: PM मोदी और EU अध्यक्ष के बीच सहमति, इस साल साइन होगा FTA

India-EU: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन ने भारत-यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच व्यापार और आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को लेकर संकल्प जताया है। दोनों नेताओं ने अपनी-अपनी सरकारों को इस वर्ष के अंत तक एफटीए को अंतिम रूप देने के निर्देश दिए हैं।
ब्रिटेन के साथ भी शुरू हुई नई वार्ता
भारत ने सोमवार को ही ब्रिटेन के साथ एफटीए पर नई वार्ता शुरू की है, जिसे 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य है। ऐसे समय में जब कई देश अपनी अर्थव्यवस्था को सीमित कर रहे हैं और वैश्वीकरण के रास्ते में बाधाएँ खड़ी कर रहे हैं, भारत एफटीए को लेकर अग्रसर है। इसी कारण यूरोपीय संघ की अध्यक्ष उर्सुला ने भारत को वैश्विक अस्थिरता के बीच स्थिरता का स्तंभ बताया है।
यूरोपीय संघ का अब तक का सबसे बड़ा प्रतिनिधिमंडल भारत आया
यूरोपीय संघ के 27 में से 22 देशों के आयुक्त उर्सुला के साथ भारत आए हैं। यह पहली बार है जब ईयू का इतना बड़ा प्रतिनिधिमंडल किसी देश की यात्रा पर गया है। उर्सुला के दूसरी बार यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष बनने के बाद यह उनकी पहली विदेशी यात्रा है।
भारत-ईयू व्यापार फिलहाल 120 अरब यूरो
प्रधानमंत्री मोदी और उर्सुला वॉन डेर लेयन ने इस यात्रा को भारत-ईयू संबंधों को मजबूत करने का प्रतीक बताया। दोनों नेताओं ने एफटीए और निवेश सुरक्षा समझौते को प्राथमिकता दी। वर्तमान में भारत और यूरोपीय संघ के बीच व्यापार 120 अरब यूरो का है, जो एफटीए के बाद कई गुना बढ़ सकता है।
भारत-ईयू रक्षा सहयोग पर विशेष जोर
बैठक में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और चीन द्वारा संप्रभुता उल्लंघन जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई। उर्सुला ने कहा कि यूरोपीय संघ भारत के साथ रक्षा और सुरक्षा सहयोग को जापान और दक्षिण कोरिया के स्तर पर मजबूत करना चाहता है। उन्होंने कहा, “दुनिया में निरंकुश शक्तियाँ सीमाओं का उल्लंघन कर रही हैं और समुद्री शांति के लिए खतरा बन रही हैं। ऐसे में हमें ज़मीन, समुद्र और अंतरिक्ष में सुरक्षा सहयोग को बढ़ाना होगा।”
भारत-ईयू प्राकृतिक रणनीतिक साझेदार: मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “आज दुनिया अभूतपूर्व बदलाव के दौर से गुजर रही है। भू-राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियाँ तेजी से बदल रही हैं। ऐसे में भारत-ईयू साझेदारी का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। लोकतांत्रिक मूल्यों, रणनीतिक स्वायत्तता और नियम आधारित वैश्विक व्यवस्था में साझा विश्वास हमें एक स्वाभाविक रणनीतिक साझेदार बनाता है।”
आठ महत्वपूर्ण समझौतों पर बनी सहमति
दो दिनों में मोदी सरकार के मंत्रियों ने ईयू आयुक्तों के साथ विभिन्न स्तरों पर वार्ता की। इसके बाद दोनों पक्षों ने आठ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। एफटीए इस सूची में सर्वोच्च प्राथमिकता पर रहा। इसके अलावा, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEEC) को आगे बढ़ाने, एशिया-प्रशांत और अफ्रीकी देशों में सहयोग बढ़ाने, हरित ऊर्जा और समुद्री सुरक्षा में संयुक्त पहल शामिल हैं।
हाइड्रोजन बस से आए ईयू आयुक्त
यूरोपीय आयोग के आयुक्त दिल्ली के हैदराबाद हाउस में आयोजित बैठक में हाइड्रोजन ईंधन सेल तकनीक से संचालित बस में पहुंचे। प्रधानमंत्री मोदी और उर्सुला वॉन डेर लेयन ने द्विपक्षीय बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की।
भारत-ईयू रक्षा सहयोग आपसी विश्वास का प्रतीक: मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हम 2025 के बाद के लिए भारत-ईयू साझेदारी का एक साहसिक और महत्वाकांक्षी रोडमैप तैयार करने पर सहमत हुए हैं, जिसे अगले भारत-ईयू शिखर सम्मेलन में लॉन्च किया जाएगा।” भारत इस वर्ष के अंत में इस सम्मेलन की मेजबानी करेगा। उन्होंने भारत-ईयू रक्षा सहयोग को आपसी विश्वास का प्रतीक बताया और कहा कि दोनों पक्ष साइबर सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाएंगे।
यूरोपीय संघ के इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव में शामिल होने का स्वागत
मोदी ने ईयू के इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव में शामिल होने के निर्णय का स्वागत किया। उर्सुला ने हिंद महासागर को वैश्विक व्यापार के लिए लाइफलाइन बताया और कहा कि इसकी सुरक्षा केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है।
पश्चिम एशिया और यूक्रेन संकट पर चर्चा
प्रधानमंत्री मोदी और उर्सुला ने पश्चिम एशिया की स्थिति और यूक्रेन युद्ध पर भी चर्चा की। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और संप्रभुता की रक्षा के सिद्धांतों के आधार पर यूक्रेन में एक स्थायी शांति समाधान की आवश्यकता को रेखांकित किया। साथ ही, उन्होंने इजरायल और फिलिस्तीन के बीच दो-राष्ट्र समाधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
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Chandrayaan-5: भारत का नया चंद्र मिशन, जापान के साथ होगा सहयोग

Chandrayaan-5: भारत सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चंद्रयान-5 मिशन (Chandrayaan-5 Mission) को मंजूरी दे दी है। यह भारत का महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन होगा, जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह का गहराई से अध्ययन करना है। ISRO के अध्यक्ष वी. नारायणन (V. Narayanan) ने रविवार को इस बारे में जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि चंद्रयान-5 मिशन को जापान के साथ मिलकर पूरा किया जाएगा। इस मिशन के तहत 250 किलोग्राम वजनी रोवर (Rover) चंद्रमा की सतह पर भेजा जाएगा, जिससे वहां की संरचना और विशेषताओं का अध्ययन किया जा सके।
चंद्रयान-4 की लॉन्चिंग कब होगी?
ISRO प्रमुख वी. नारायणन ने जानकारी दी कि भारत का चंद्रयान-4 मिशन साल 2027 में लॉन्च किया जाएगा। यह मिशन चंद्रमा की सतह से नमूने (Samples) इकट्ठा कर धरती पर वापस लाने के लिए तैयार किया गया है।
ISRO प्रमुख के अनुसार, चंद्रयान मिशन का उद्देश्य चंद्रमा की सतह का गहराई से विश्लेषण करना है, जिससे अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की भूमिका और सशक्त हो सके।
चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता
भारत का चंद्रयान-3 मिशन (Chandrayaan-3 Mission) 2023 में ऐतिहासिक सफलता के रूप में दर्ज हुआ। इस मिशन में 25 किलोग्राम वजनी ‘प्रज्ञान’ रोवर (Pragyan Rover) चंद्रमा की सतह पर भेजा गया था।
23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 के लैंडर ‘विक्रम’ (Vikram Lander) ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव (South Pole of Moon) पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग (Soft Landing) की थी। यह मिशन भारत को अंतरिक्ष विज्ञान में नई ऊंचाइयों तक ले गया और दुनिया भर में इसकी सराहना हुई।
चंद्रयान-5: क्या होगा खास?
चंद्रयान-5 मिशन की खासियत इस प्रकार होगी:
- 250 किलोग्राम वजनी रोवर चंद्रमा की सतह का गहन अध्ययन करेगा।
- भारत और जापान का संयुक्त प्रयास होगा, जिससे दोनों देशों की तकनीकी विशेषज्ञता का लाभ मिलेगा।
- चंद्रयान-4 के बाद इस मिशन से भारत की चंद्र अन्वेषण क्षमता और मजबूत होगी।
- यह भविष्य के मून मिशनों की नींव रखेगा, जिसमें इंसानों को चंद्रमा पर भेजने की संभावनाएं तलाशी जाएंगी।
चंद्रयान मिशन: भारत का चंद्र अन्वेषण इतिहास
भारत का चंद्रयान मिशन (Chandrayaan Mission) हमेशा से चंद्रमा के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण रहा है। अब तक भारत ने तीन चंद्र मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च किए हैं:
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चंद्रयान-1 (2008):
- यह भारत का पहला चंद्र मिशन था।
- चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी का पता लगाया गया था।
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चंद्रयान-2 (2019):
- इस मिशन में लैंडर विक्रम सफलतापूर्वक लैंड नहीं कर पाया, लेकिन ऑर्बिटर अब भी काम कर रहा है।
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चंद्रयान-3 (2023):
- भारत पहला देश बना, जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग की।
- इस मिशन में प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर अध्ययन किया।
अब चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 मिशन भारत के अंतरिक्ष विज्ञान को और मजबूत करेंगे।
भारत का बढ़ता अंतरिक्ष अनुसंधान
ISRO लगातार नए अंतरिक्ष अभियानों पर काम कर रहा है। चंद्रयान-5 के साथ-साथ भारत गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission) पर भी काम कर रहा है, जो पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन होगा।
इसके अलावा, ISRO अदित्य L1 मिशन (Aditya L1 Mission) और मंगलयान-2 (Mangalyaan-2) की भी तैयारी कर रहा है। इससे भारत की अंतरिक्ष विज्ञान में वैश्विक उपस्थिति और मजबूत होगी।
भारत के चंद्रयान-5 मिशन को मंजूरी मिलना देश के अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए एक बड़ा कदम है। यह मिशन चंद्रमा की सतह पर महत्वपूर्ण खोज करेगा और भारत-जापान के वैज्ञानिक संबंधों को भी मजबूत करेगा।
चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 मिशन भारत को अंतरिक्ष विज्ञान में और ऊंचाई तक ले जाएंगे। आने वाले वर्षों में भारत की अंतरिक्ष शक्ति और अधिक बढ़ेगी और ISRO नए कीर्तिमान स्थापित करेगा।
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